14 अक्टूबर को भारत और दुनिया भर में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। History of 14th October
History of 14th October: 14 अक्टूबर की कुछ महत्वपूर्ण जयंतियाँ
History of 14th October
- 1884: लाला हरदयाल, भारतीय क्रांतिकारी
- 1931: निखिल रंजन बैनर्जी, भारतीय संगीतकार
- 1950: अरुण खेतरपाल, भारतीय सैनिक
History of 14th October: 14 अक्टूबर का इतिहास: धर्म परिवर्तन की सबसे बड़ी घटना
History of 14th October: देश-दुनिया के इतिहास में 14 अक्टूबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है. इस तारीख को इतिहास में धर्म परिवर्तन की सबसे बड़ी घटना के तौर पर याद किया जाता है. 14 अक्टूबर, 1956 को Doctor भीमराव आंबेडकर ने अपने ‘3.65’ लाख समर्थकों के साथ हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था |
भारत में
- 1066: हेस्टिंग्स की लड़ाई में नॉर्मन सेना ने इंग्लैंड को हराया और वहाँ के राजा हेरॉल्ड द्वितीय की हत्या कर दी।
- 1956: डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने 3.65 लाख समर्थकों के साथ हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया।
- 1965: भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरे कारगिल युद्ध की शुरुआत हुई।
- 1984: भारत में सिख विरोधी दंगे शुरू हुए, जिसमें हजारों सिखों की हत्या कर दी गई।
- 2004: भारत में पीनकल एयरलाइंस की उड़ान 3701 जेफरसन सिटी, मिसौरी में दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें दोनों पायलटों की मौत हो गई।
विश्व में
- 1945: सोवियत संघ ने जापान पर परमाणु बम गिराया।
- 1962: क्यूबा मिसाइल संकट शुरू हुआ।
- 1997: हंगरी ने यूरोपीय संघ में शामिल होने के लिए आवेदन किया।
- 2012: फेलिक्स बाउमगर्टर ने स्ट्रैटोस्फियर से धरती पर सफलतापूर्वक छलांग लगाई।
चौदह भाइयों में सबसे छोटे आंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के ‘Indore’ के पास छोटे से कस्बे महू में हुआ था, दलित परिवार में जन्म होने की वजह से उन्हें बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा, उन्हें स्कूल में सबसे आखिरी पंक्ति में बैठाया जाता था, यहीं से वह भेदभाव की इस व्यवस्था के खिलाफ हो गए थे, उनका का कहना था – मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है. मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है: धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए |
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वह जाति व्यवस्था के इस कदर खिलाफ थे कि 13 अक्तूबर, 1935 को उन्होंने ‘Maharashtra’ के येवला में कहा – “मैं हिंदू के रूप में पैदा हुआ हूं लेकिन हिंदू के रूप में मरूंगा नहीं, कम से कम यह तो मेरे वश में है” आंबेडकर ने हिंदू धर्म में व्याप्त वर्ण व्यवस्था को खत्म करने के लिए कानून का भी सहारा लिया, लेकिन अंत में उन्हें लगने लगा था कि जो बदलाव वो चाहते हैं, वे शायद कभी नहीं हो सकेंगे, आखिर में उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाने का फैसला लिया |